सुर, ताल, भावमुद्राओं के साथ सुंदर पद संचालन

वरदा कला संस्थान की 40 नृत्यांगनाओं ने  नृत्य नाटिका निर्मल संस्कृत   प्रवाह की प्रस्तुति दी ।

इंदौर। वरदा कला संस्थान की 40 नृत्यांगनाओं ने संस्कृत के गीतों और कालिदास के नाटकों पर सुंदर नृत्य नाटिका निर्मल संस्कृत प्रवाह की शानदार प्रस्तुति देकर रसिकजनो को भाव विभोर कर दिया ।

मौका था संस्कृत दिवस पर  कला गुरु श्रुति शर्मा  के निर्देशन  में रविन्द्र नाट्य गृह में  आयोजित कालिदास के इन्द्रधनुष का मंचन ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सदस्य भरत शर्मा , पद्मश्री जनक पलटा ,भाजपा नेता राकेश शर्मा  एवं संजीवन तोमर अतिथि बतौर शामिल थे ।

इस मौके पर डॉ.इरा जोशी ने संस्कृत  भाषा , संस्कृति व अध्यात्म के त्रिकोण पर कहा कि संस्कृत देव वाणी है ।यह हमारी आत्मा की भाषा है  और इसका हर अक्षर मंत्र स्वरूप हैं । श्री शर्मा  ने कहा की आज भारतीय संस्कृति को पश्चिम से बचाने की जरूरत है ,अतः हम अपने नेतिक मूल्यों का आदर करे।

जनक पलटा  ने कहा कि ऐसे आयोजन से हमारी भाषा  ही नहीं संस्कृति भी समृद्ध होती हैं। अतिथियों ने संस्थान की स्मारिका वरदा निर्मल सुरभि  का विमोचन किया ।

श्रुति शर्मा  कहा कि संस्थान की स्थापना के 20 वर्ष पूरे हो गए हैं ।इस अवधि में 126 कार्यक्रम विभिन्न मंचों  पर आयोजित किए , जिसमें  भरतनाट्यम कार्यशाला , सेमिनार , संस्कृत संभाषण  शिविर आदि  शामिल हैं।   

 नृत्यांगनाओं ने संस्कृत गीत सुरस सुबोधा विश्व मनोज्ञा ….श्रीराम स्तुति  श्री रामचन्द्र कृपाल भज मन ….श्रीकृष्ण  स्तुति अधरम मधुरम नयनम मधुरम…  से लेकर कालिदास रचित मेघदूत,  रघुवंशम् और ऋतु संहार पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी ।इसमें भावमुद्रा ,लय ,ताल पद संचालन और सौंदर्य देखते ही बनता था ।

समापन वन्दे मातरम् की प्रस्तुति से हुआ । कार्यक्रम  में अरग्नेत्रम कर  चुकीं नृत्यांगनाएं  राशि शर्मा , आरोही कल्याणकर और अंत्रा  चानसंकर का सम्मान किया गया ।अतिथि स्वागत सोनाली पांड्या ,राजीव शर्मा , डॉ स्मिता तिवारी ने किया । कार्यक्रम का संचालन पंकज कोठारी ने किया अंत में आभार माना सरवानी जोशी ने  ।

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